5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

मंत्र महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

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जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

पाठ करने more info से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।

शिव आरती

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